नैसर्गिक सौन्दर्य से परिपूर्ण मनोहारी प्राकृतिक परिवेश, शौर्य-पराक्रम की गाथाएं सुनाती हवाओं का लहराता जोश और धर्म-अध्यात्म की सुगंध के बीच देवी-देवताओं की पसन्दीदा धरा राजसमन्द जिला अपने आपमें कई खासियतों को लिए हुए है।
इसके बहुआयामी परंपरागत वैभव और विलक्षण धार्मिक, सांस्कृतिक एवं ऎतिहासिक परंपराओं का ही कमाल है कि यह क्षेत्र दैहिक, दैविक और भौतिक आनन्द से सराबोर करता हुआ सुकून के समन्दर लहराता रहा है। राजसमन्द जिले भर में कई प्राचीन धर्म धाम हैं जिनके प्रति लोक आस्थाओं का ज्वार उमड़ता रहा है। इन्हीं में एक है – बोहरा विनायक।
राजसमन्द जिला मुख्यालय के समीप देवथड़ी, सुन्दरचा और फरारा गांवों की सीमा पर अवस्थित सदियों पुराना बोहरा विनायक का प्राचीन गणेश धाम पुराने जमाने से श्रद्धा का केन्द्र रहा है। मान्यता है कि बोहरा विनायक जरूरतमन्दों को धन की मदद करते रहे हैं। खासकर धन के अभाव में रहने वाले विपन्न लोगों के लिए तो वे वरदान ही हैं।
घर-परिवार में शादी-ब्याह या और कोई सा आयोजन हो, और धन की व्यवस्था में दिक्कतें आती, तब भक्तगण बोहरा विनायक की शरण लिया करते थे। उनके धाम पर पहुंच कर अनुनय विनय करने के अगले ही दिन वहाँ मूर्ति के पास रखी थैली में जरूरत के मुताबिक राशि मिल जाया करती थी। अपना काम निकल जाने के बाद सहूलियत के हिसाब से यह राशि वापस भगवान गणेशजी को लौटा दी जाती। बोहरा विनायक के वहाँ न कोई ब्याज-बट्टे का चक्कर है, न चुकारे का कोई निश्चित समय।
कुछ दशकों पूर्व तक यह परंपरा बरकरार थी। लेकिन अब भक्तों के आग्रह पर बोहरा विनायक कहीं न कहीं से धन की व्यवस्था करा देते हैं जिससे कि भक्तों के अटके हुए काम निकल जाते हैं। बोहरा विनायक धन की यह व्यवस्था अब अपनी थैली से नहीं करते बल्कि किसी न किसी को मदद के लिए प्रेरित करते हैं अथवा किसी का बकाया पैसा आसानी से मिल जाता है।
बड़े-बड़े धन्ना सेठ और कारोबारी भी धन की जरूरत पड़ने पर बोहरा विनायक के दरबार में आते हैं और मंगलमूर्ति भगवान विनायक से प्रार्थना करते हैं। भक्तों का यह अनुभव है कि बोहरा विनायक के समक्ष निवेदन करने के उपरान्त कुछ ऎसा चमत्कार हो ही जाता है कि आवश्यकता के अनुसार धन की व्यवस्था कहीं न कहीं से हो ही जाती है।
पहले बोहरा विनायक की प्राचीन मूर्ति खुले में थी लेकिन अब मन्दिर बना दिया गया है। लोक मान्यता यह भी है कि बोहरा विनायक का मन्दिर जिस पहाड़ी क्षेत्र में है वहाँ जमीन के भीतर अत्यधिक मात्रा में धन गड़ा हुआ है। आस-पास कई सारे खड्डे थे जिन्हें देखकर माना जाता रहा है कि जानकार लोग बोहरा विनायक की पहाड़ी को खोद कर जमीन से धन निकाल कर ले गए।
बोहरा विनायक के अनन्य भक्त श्री तुलसीराम बताते हैं कि क्षेत्र भर के लोगों की आस्था गणपतिजी पर है। यहां बुधवार को भक्तों का तांता लगा रहता है। गणेश चतुर्थी पर बड़ा भारी मेला भरता है। इसके पास ही पहाड़ी शिलाओं के बीच रूपण माता का स्थान है।
बोहरा विनायक का यह धाम धार्मिक आस्थाओं के साथ ही दर्शनीय तीर्थ भी है जहाँ दूर-दूर से भक्तजन आते हैं और मनोकामनापूर्ति हो जाने पर बाधाएं छोड़ते हैं।
पहाड़ियों के आँचल में उन्मुक्त नैसर्गिक माहौल और शुद्ध आबोहवा के बीच अवस्थित यह गणेश पीठ दर्शनार्थियों के लिए अच्छा पिकनिक स्पॉट होने के साथ ही रोजाना भ्रमण के लिए भी उपयुक्त है।
बहुत से भक्त हैं जो रोजाना सवेरे या शाम को बोहरा विनायक के दर्शन करने आते हैं। राजसमन्द जिले के प्राचीन गणेश मन्दिरों में बोहरा विनायक का खास महत्व है।