कैसी भी समस्याएं हों, अभावों के कारण परेशान हों, इनसे मुक्ति का सबसे श्रेष्ठ और अनुभूत प्रयोग है – पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करना। न केवल भीषण गर्मियों में, बल्कि हर मौसम में, हर दिन। पक्षी यदि प्रसन्न हो गए तो समझ लो आसमान की ऊँचाई पाने का रास्ता आसान हो गया।
लालची-लोभी और धूर्त ज्योतिषी इस विषय पर कुछ नहीं कहते, क्योंकि उन्हें अपने पेट और पिटारे भरने की पड़ी रहती है। यही कारण है कि तथाकथित ज्योतिषी और आधे-अधूरे कर्मकाण्डी आचार्य व पण्डितों की मृत्यु कष्टकारी होती है और मरने के बाद भी इनमें से अधिकांश प्रेत योनि या गर्दभ योनि को प्राप्त होते हैं।
सभी ज्योतिषियों, बाबाओं, संत-महात्माओं, कथावाचकों, कीर्तनकारों, सत्संगकर्ताओं, पण्डितों और धर्म के ठेकेदारों को चाहिए कि वे आम जन को इस विषय के महत्व के बारे में समझाएं और प्रेरित करें। अपने रहते हुए यदि प्राणियों की दाना-पानी के अभाव में मृत्यु हो जाती है तो इनकी हत्या का पाप हमको भी लगता है, इस बात को चाहे मानें या न मानें। एक बार पूरी ईमानदारी से सोचें तो हमारी आत्मा ही कह उठेगी कि हम सब हत्यारे हैं।
मूक प्राणियों की हत्या का पाप अपने सर न लें, इनके लिए दाना-पानी की व्यवस्था का काम करें, संसार का यही सर्वोच्चतम पुण्य है। पक्षियों के साथ पशुओं व इंसानों के लिए भी अपनी ओर से हरसंभव मदद करें।